भारत में हर नोट का
रंग अलग निर्धारित किया गया है और हर नोट के रंग के पीछे की एक अलग कहानी है | 5 रुपये
के नोट का रंग हरा होता है जबकि 10 रुपये के नोट का रंग लाल निर्धारित किया गया है
लेकिन क्या आपको पता है 20 रुपये का नोट गुलाबी रंग का क्यों होता है? इस बात की सच्चाई
तक पहुँचने के लिए हमे कई साल पीछे जाना पड़ेगा |
यह बात सन 1972 की
है जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री हुआ करती थीं | उस समय एक ऐसे नोट की कमी महसूस की
जा रही थी जो छोटे नोटों की कमी पूरा कर सके एवं हर गरीब की पहुँच तक भी हो | अतः निर्धारित
किया गया कि 20 रुपये के नोट का निर्माण किया जायेगा परन्तु नोट का आकर एवं रंग क्या
रहेगा, इस बात के निर्धारण के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया |
इस बैठक की अध्यक्षता
स्वयं प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधीजी कर रही थीं | इस बैठक में सभी ऊँचे दर्जे
के अधिकारी एवं प्रधान सचिव बैठे हुए थे | सभी अधिकारीगण अपने साथ कई पन्नों की फाइल
रखे हुए थे जिसमे उन्होंने 20 रुपये के नोट के आकर एवं रंग के बारे में अपनी-अपनी राय
प्रकट की थी |
इन सभी अधिकारियों
के साथ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्य सचिव पी.डी. कासबेकर भी बैठे हुए थे | जब बैठक की
शुरुआत हुई तब आरम्भ से ही श्रीमती गांधीजी का ध्यान बार-बार कासबकेर जी के शर्ट की जेब
पर जा रहा था | ऐसा बार-बार हो रहा था जिसकी वजह से कासबकेर जी ही नहीं बल्कि वहाँ
उपस्थित सभी अधिकारी परेशान हो उठे उन सभी को यही लग रहा था की प्रधानमंत्री जी किसी
बात को लेकर हमसे नाराज़ हैं |
अंततः श्रीमती गांधीजी
ने कासबकेर जी से उनके शर्ट की जेब से वह कागज निकालने के लिए बोला | कासबेकर जी ने
बिना कुछ सोचे उन्हें वह लिफाफा दे दिया | वह लिफाफा असल में एक शादी का निमंत्रण कार्ड
था जो की गुलाबी रंग का था और वह रंग श्रीमती गांधीजी को बहुत पसंद आया | इसलिए जब
बैठक समाप्त हो गयी 20 रुपये के नोट का रंग गुलाबी निर्धारित कर दिया गया था |