यह बात तो लगभग हर कोई जानता है कि महाभारत में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु कैसे हुई थी ? हम सभी जानते हैं कि अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में ही अभिमन्यु ने चक्रव्यूह की कला सीखी थी परन्तु नींद लग जाने के कारण चक्रव्यूह से बाहर निकलने की कला को अभिमन्यु सीख ना सका |
जिस वजह से जब गुरु द्रोण ने महाभारत में चक्रव्यूह की रचना की, तब 16 वर्षीय अभिमन्यु चक्रव्यूह में आसानी से प्रवेश तो कर गया, लेकिन बाहर ना निकल पाया | चक्रव्यूह के अंदर उसने दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण का वध भी किया और कई महारथियों से टक्कर भी ली | लेकिन कौरवों की तरफ से 6 योद्धाओं ने मिलकर अभिमन्यु की हत्या कर दी | यही बातें हम सभी को पता हैं, परंतु 16 वर्ष की कम उम्र में अभिमन्यु की वीरगति को प्राप्त करने की दो मुख्य वजह और भी थीं |
जिस वजह से जब गुरु द्रोण ने महाभारत में चक्रव्यूह की रचना की, तब 16 वर्षीय अभिमन्यु चक्रव्यूह में आसानी से प्रवेश तो कर गया, लेकिन बाहर ना निकल पाया | चक्रव्यूह के अंदर उसने दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण का वध भी किया और कई महारथियों से टक्कर भी ली | लेकिन कौरवों की तरफ से 6 योद्धाओं ने मिलकर अभिमन्यु की हत्या कर दी | यही बातें हम सभी को पता हैं, परंतु 16 वर्ष की कम उम्र में अभिमन्यु की वीरगति को प्राप्त करने की दो मुख्य वजह और भी थीं |
पहली, जब सभी देवता पृथ्वी पर इस युद्ध की तैयारी के लिए अपने-अपने पुत्रों को धरती पर भेज रहे थे उसी समय चंद्रदेव ने भी अपने पुत्र को धरती पर भेजने की तैयारी की | लेकिन चंद्रदेव अपने पुत्र से बहुत प्रेम करते थे और वह अपने पुत्र से बिछड़ने का दुख नहीं सह पा रहे थे | इसी वजह से अभिमन्यु की मृत्यु 16 साल से कम आयु में ही हो गई थी |
दूसरी मुख्य वजह श्री कृष्ण की माया थी | जैसा कि हमको पता ही है कि महाभारत दो परिवारों की लड़ाई थी, युद्ध शुरुआत होने से पहले अर्जुन ने तो शस्त्र उठाने से ही मना कर दिया था लेकिन भगवान कृष्ण के गीता ज्ञान देने के बाद उन्होंने अपने शस्त्र उठाए थे | लेकिन इसके बाद भी पांडव पूरे मन से युद्ध नहीं कर रहे थे | यह जानकर कि जिनसे हम युद्ध कर रहे हैं, वह हमारे रिश्तेदार ही हैं | इसी वजह से श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की मृत्यु को रोकने की कोशिश नहीं की | इस मृत्यु के दुख के बाद अर्जुन कठोर मन के हो गए और सभी पांडवों ने पूरे शौर्य के साथ युद्ध करना चालू कर दिया | इसी वजह से पांडवों का विजयपथ प्रशस्त हुआ |